Tuesday, February 28, 2012

जब भी मेरा गमज़दा होना जरूरी हो गया

जब भी मेरा गमज़दा होना जरूरी हो गया
यक ब यक घर का हर इक कोना जरूरी हो गया

मैं भिगोता जा रहा हूँ आस्तीं बस इस लिए
जो न होना था वही होना जरूरी हो गया

जाने कितने रंग दिखलाएगी मेरी ज़िंदगी
आज हँसने के लिए रोना जरूरी हो गया

जो कभी चाहा हुआ हासिल मुझे बस ख़्वाब में
ख़्वाब में जो भी मिला, खोना जरूरी हो गया

क़द्र रिश्तों की पता है, हम निभाते भी रहे
पर नये हालात में ढोना जरूरी हो गया

मैं अगर भटका तो मेरी जान जायेगी जरूर
जान से पर हाथ अब धोना जरूरी हो गया

ज़िंदगी की जंग में होती रहीं नीदें हराम
ऐसा लगता है कि अब सोना जरूरी हो गया



1 comment:

  1. जो न होना था वही होना जरूरी हो गया
    ye kamal hai sir

    ReplyDelete