Friday, December 2, 2011

नेक इंसान हर इन्सां को भला कहते हैं

नेक इंसान हर इन्सां को भला कहते हैं
जो हैं कमज़र्फ, खुदा को भी बुरा कहते हैं

आज इंसान कई खुद को खुदा कहते हैं
'जाने क्या दौर है क्या लोग हैं क्या कहते हैं'

आज आँखों में शरारत सी अयाँ है उनके
वो मेरी शर्म को भी शोख अदा कहते हैं

दोपहर ढूंढ रही शब की निशानी खुद में
हम इसी चाह की शिद्दत को नशा कहते हैं

बात क्या है कि तेरी याद रुलाती है हमें
लोग क्यूँ 'प्यार हुआ' 'प्यार हुआ' कहते हैं

दम घुटा जाए हो अहसासे गुनह से बोझिल
रूह धिक्कारे तुम्हे, इसको सज़ा कहते हैं

आज़माइश की हदें पार करूँगा हँस कर
दर्द बेहद हो, सुना उसको दवा कहते हैं

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