Friday, July 8, 2011

समंदर को आज मुझको कर दिखाना है

समंदर को आज मुझको कर दिखाना है
सफीना हर हाल में मुझको बचाना है


समझते हैं चाँद अपने को तो वो समझें
हमें बस उनके भरम पर मुस्कराना है


उठाये तूफ़ान कोई आग बरसाए
हमें तो अब हर किसी को आजमाना है


समंदर जो जज्ब है अंदर मेरे अब तक
कभी तो आखिर मुझे उसको बहाना है


मुझे अब आईना भी करता नहीं बर्दाश्त
नहीं बेबस अब मुझे यूँ छटपटाना है

3 comments:

  1. उठाये तूफ़ान कोई आग बरसाए
    हमें तो अब हर किसी को आजमाना है
    waah

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