Sunday, May 29, 2011


समंदर ने बड़प्पन का गुमां बेजा कराया है 
नदी का लेके सब जल खुद उसे सूखा कराया है

अदब, तहजीब यकसाँ है, अयाँ है, पर सितम देखो 
जरा सी जिद ने इस आँगन का बंटवारा कराया है 

करोगे क्या जुटाकर तुम जखीरे सा ये सरमाया 
इसीने तो घरों में बेवजह झगडा कराया  है 

घनी बस्ती में  सड़कें तंग, दिल होते बड़े, बेशक  
इन्ही ने देश की तहजीब का दीदा कराया है  

कभी हम जीभ अपनी काटते हैं अंध श्रद्धा में 
कभी नन्हे फरिश्तों को डपट रोजा कराया है 

1 comment:

  1. करोगे क्या जुटाकर तुम जखीरे सा ये सरमाया
    इसीने तो घरों में बेवजह झगडा कराया है
    waah

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