Monday, May 9, 2011

बस इतना सा समाचार है


घूरे पर बैठा बच्चा
खाने को कुछ भी बीन रहा है
लगता है बिधना से लड़कर
अपना जीवन छीन रहा है
क्या इसको जीवन कहते हैं 
आता मन में यह विचार है
बस इतना सा समाचार है

अपने बालों के झुरमुट से
जाने क्या वो खींच रही है
बूढ़ी दादी गिने झुर्रियाँ
गले मसूढे भींच रही है
जीने की इच्छा तो मृत है
मरने तक ज़िंदगी भार है
बस इतना सा समाचार है

बिटिया की शादी सर पर है
कैसे बेड़ा पार लगेगा
कुछ दहेज़ तो देना होगा
वरना सब बेकार लगेगा
रिश्तेदार कसेंगे ताने
अपनी बिटिया बनी भार है
बस इतना सा समाचार है

अब की बार फसल अच्छी हो
तो घर में कुछ काम कराऊँ
टपक रही झोपडी, इसे फिर
नए प्लास्टिक से ढंकवाऊँ
कई दिनों से खांस रहा हूँ
छोटी बिटिया को बुखार है
बस इतना सा समाचार है
शेष धर तिवारी

1 comment:

  1. अब की बार फसल अच्छी हो
    तो घर में कुछ काम कराऊँ
    टपक रही झोपडी, इसे फिर
    नए प्लास्टिक से ढंकवाऊँ
    कई दिनों से खांस रहा हूँ
    छोटी बिटिया को बुखार है
    बस इतना सा समाचार है
    baaki sab thik hai... is samachaar me dard ka nichod hai

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