Friday, May 6, 2011

है अँधेरा एक दीपक तो जलाना चाहिए

है अँधेरा एक दीपक तो जलाना चाहिए 
जो भटकते हैं उन्हें रस्ता दिखाना चाहिए 

है जिन्हें एहसासे जिम्मेदारी करते हैं जतन 
काहिलों को तो फ़क़त कोई बहाना चाहिए 

सोचिये मंज़र कि जब पानी नहीं होगा नसीब
पीढ़ियों के वास्ते इसको बचाना चाहिए 

जो कहे, इक बूँद पानी की नहीं होती अहम
ऐसे नादां को समंदर से मिलाना चाहिए  

आज भी गर ठान लो दुनिया सराहेगी तुम्हे 
रास्ता तुमने दिखाया, फिर दिखाना चाहिए

जल नहीं जीवन बहाती हैं ये ढीली टोंटियाँ
खुद इन्हें कैसे सुधारें हम, ये आना चाहिए

जल न बन जाए कहीं कारण महासंग्राम का
कल को इस संभावना से तो बचाना चाहिए 

1 comment:

  1. जो कहे, इक बूँद पानी की नहीं होती अहम
    ऐसे नादां को समंदर से मिलाना चाहिए
    waah... zarur

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