Friday, December 17, 2010

मुहब्बत

मुहब्बत हमारी तुम्हारी रजा है 
मुहब्बत मुहब्बत है इसमें मजा है 


खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत
मुहब्बत बिना तो ये जीवन क़ज़ा है


मुहब्बत का है आज दुश्मन बना जो
कभी तो मुहब्बत मुहब्बत भजा है 


मुहब्बत जिसे मिल गयी जिंदगी में 
इसे छोड़ उसने तो सब कुछ तजा है 


हो लंगडा या लूला या अंधा कि काना 
ये ताज़े मुहब्बत तो हर सर सजा है 

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