Thursday, April 12, 2012

लोग तो कहते हैं, हम भी आजमा कर देख लें

लोग कहते हैं तो, हम भी आजमा कर देख लें  
सामने पत्थर के अपना सर झुका कर देख लें 

छीन ली जिसने हमारी ज़िंदगी से हर खुशी 
आज उसके सामने फिर मुस्करा कर देख लें  

है बहुत दिन से समंदर ज़ज्ब आँखों में मेरी 
अब समंदर से कई दरिया बहा कर देख लें  

दर्द ही बढ़कर दवा बनता है, ये सच है अगर 
सब्र की भी इन्तेहाँ को आजमा कर देख लें 

उम्र भर जिसको रही शिकवा शिकायत से मेरी 
आज खामोशी उसे अपनी सुनाकर देख लें

अब ज़मीर अपना हकीकत को छुपा सकता नही 
है यही बेहतर कि सबको सच बता कर देख लें 

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