वह कथन को भाव देकर सादगी से कह गया
शब्द को अभिव्यक्ति देकर वह उसी में बह गया
आज उस दुष्यंत को कहते हैं ग़ज़लों का मसीह
जो जहां की निगह में तब आम इन्सां रह गया
आज हर अशआर उसके लग रहे कितने सटीक
आने वाले कल की बातें बीते कल में कह गया
चौधराहट थी नहीं मंजूर भाषा पर उसे
अपनी धुन की रौ में जाने तंज़ कितने सह गया
आज उसके जन्मदिन पर ले रहे हैं यह शपथ
पूरा होगा ख़्वाब उसका जो अधूरा रह गया
शेष धर तिवारी
१ सितम्बर २०११
दुष्यंत कुमार जी का जन्मदिन
शब्द को अभिव्यक्ति देकर वह उसी में बह गया
आज उस दुष्यंत को कहते हैं ग़ज़लों का मसीह
जो जहां की निगह में तब आम इन्सां रह गया
आज हर अशआर उसके लग रहे कितने सटीक
आने वाले कल की बातें बीते कल में कह गया
चौधराहट थी नहीं मंजूर भाषा पर उसे
अपनी धुन की रौ में जाने तंज़ कितने सह गया
आज उसके जन्मदिन पर ले रहे हैं यह शपथ
पूरा होगा ख़्वाब उसका जो अधूरा रह गया
शेष धर तिवारी
१ सितम्बर २०११
दुष्यंत कुमार जी का जन्मदिन
शुक्रिया
ReplyDeleteआभार
चौधराहट थी नहीं मंजूर भाषा पर उसे
ReplyDeleteअपनी धुन की रौ में जाने तंज़ कितने सह गया
bahut badiya tiwari jee.
वाह! बहुत खूब!
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