हमारा ही लहू पीकर जो लालम लाल हैं देखो
वही सड़कों को कहते ओम् जी के गाल हैं देखो
जब इनके सामने हमने रखा इक आईना, भडके
विशेष अधिकार का लेकर खड़े अब ढाल हैं देखो
किरन जब भी निकलती है अँधेरा दूर होता है
ये नादां रोशनी पर फेंकते अब जाल हैं देखो
समझते थे जिसे थोथा चना वो बन गया "अन्ना"
ये पागल नोचते अब हर किसी के बाल हैं देखो
कहावत है कि "घूरे के भी दिन फिरते हैं" नेताजी
जहीं जो हैं बदल लेते खुद अपनी चाल हैं देखो
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