समंदर को आज मुझको कर दिखाना है
सफीना हर हाल में मुझको बचाना है
समझते हैं चाँद अपने को तो वो समझें
हमें बस उनके भरम पर मुस्कराना है
उठाये तूफ़ान कोई आग बरसाए
हमें तो अब हर किसी को आजमाना है
समंदर जो जज्ब है अंदर मेरे अब तक
कभी तो आखिर मुझे उसको बहाना है
मुझे अब आईना भी करता नहीं बर्दाश्त
नहीं बेबस अब मुझे यूँ छटपटाना है
समझते हैं चाँद अपने को तो वो समझें
हमें बस उनके भरम पर मुस्कराना है
उठाये तूफ़ान कोई आग बरसाए
हमें तो अब हर किसी को आजमाना है
समंदर जो जज्ब है अंदर मेरे अब तक
कभी तो आखिर मुझे उसको बहाना है
मुझे अब आईना भी करता नहीं बर्दाश्त
नहीं बेबस अब मुझे यूँ छटपटाना है
उठाये तूफ़ान कोई आग बरसाए
ReplyDeleteहमें तो अब हर किसी को आजमाना है
waah
Thanks Rashmi Ji
ReplyDeleteaccha likha aapne.
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