यूँ तो मैं हँसता रहा सबसे गले मिलता रहा
पर हकीकत को मेरा चेहरा बयां करता रहा
लाख कर लीं कोशिशें मंजिल नहीं मिलती मुझे
दूसरों के वास्ते मैं रास्ता बनता रहा
मैं रहा ग़मगीन वो भी चुप रहा गम में मेरे
खामुशी ही खामुशी थी रास्ता कटता रहा
मिल गया हमदर्द कोई अश्क थे जो कैदे चश्म
कर के मैं आज़ाद उनको हाले दिल कहता रहा
जो तेरे अपने हैं उनके वास्ते रो कर तो देख
रात मैं रो कर मजे से दर्दे दिल सहता रहा
पर हकीकत को मेरा चेहरा बयां करता रहा
लाख कर लीं कोशिशें मंजिल नहीं मिलती मुझे
दूसरों के वास्ते मैं रास्ता बनता रहा
मैं रहा ग़मगीन वो भी चुप रहा गम में मेरे
खामुशी ही खामुशी थी रास्ता कटता रहा
मिल गया हमदर्द कोई अश्क थे जो कैदे चश्म
कर के मैं आज़ाद उनको हाले दिल कहता रहा
जो तेरे अपने हैं उनके वास्ते रो कर तो देख
रात मैं रो कर मजे से दर्दे दिल सहता रहा
No comments:
Post a Comment