अगर भाई चारे की बुनियाद होगी
यकीनन खुशी घर में आबाद होगी
यकीनन खुशी घर में आबाद होगी
लगे यूँ जमीं पर उतर आया सूरज
क्या दुनियाँ हमारी ये बर्बाद होगी ?
मैं हूँ मुत्तहम पर सहे जा रहा हूँ
सजाओं कि कोई तो मीआद होगी
जमीं पर कदम गर नहीं हैं तेरे अब
तो मंजिल तेरी बागे शद्दाद होगी
जो "मैं" को ही मिलती रहेगी तवज्जोह
अना ही अदीबों की उस्ताद होगी
अमर जो हर इक माँ को कर दे जहां में
कभी तो दवा ऐसी ईजाद होगी
जो गज़लों को सुनकर बना ऐब चीं है
ग़ज़ल की वो अपनी ही औलाद होगी
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