लदे थे पत्ते
डाली हुई ठूंठ सी
नये की आस
शक्तिमान हो
खिला सकते हो क्या?
एक भी फूल
भौरे की गूँज
आ गया मधुमास
गुनगुनाता
सरसो फूली
पीली हुई हो जैसे
रम्भा के वस्त्र
प्रकृति चक्र
पूर्ण करने को है
व्यग्र मदन
डाली हुई ठूंठ सी
नये की आस
शक्तिमान हो
खिला सकते हो क्या?
एक भी फूल
भौरे की गूँज
आ गया मधुमास
गुनगुनाता
सरसो फूली
पीली हुई हो जैसे
रम्भा के वस्त्र
प्रकृति चक्र
पूर्ण करने को है
व्यग्र मदन
No comments:
Post a Comment