समंदर ने बड़प्पन का गुमां बेजा कराया है
नदी का लेके सब जल खुद उसे सूखा कराया है
अदब, तहजीब यकसाँ है, अयाँ है, पर सितम देखो
जरा सी जिद ने इस आँगन का बंटवारा कराया है
करोगे क्या जुटाकर तुम जखीरे सा ये सरमाया
इसीने तो घरों में बेवजह झगडा कराया है
घनी बस्ती में सड़कें तंग, दिल होते बड़े, बेशक
इन्ही ने देश की तहजीब का दीदा कराया है
कभी हम जीभ अपनी काटते हैं अंध श्रद्धा में
कभी नन्हे फरिश्तों को डपट रोजा कराया है
करोगे क्या जुटाकर तुम जखीरे सा ये सरमाया
ReplyDeleteइसीने तो घरों में बेवजह झगडा कराया है
waah