तू नदी है और हम तेरे किनारों की तरह
हैं फ़िदाई ख़्वाहिशें बेइख़्तियारों की तरह
तू अगर दिल में रहे शादाब ग़ुल की तर्ह तो
हम हिफ़ाजत में रहेंगे साथ ख़ारों की तरह
तू समंदर के लिए खोता है अपना ही वजूद
उस्तुवारी है हमारी चांद तारों की तरह
हम मोहब्बत की जड़ों को तर रखेंगे अश्क़ से
जो कर आँखों को हमारी आबदारों की तरह
हम जुनूने फ़त्ह में खाते रहे हैं ठोकरें
जिंदगी हमको मिली है संगजारो की तरह
सिर्फ उनको ठोकरों की अहमियत मालूम है
गिर के जो सम्हला किये हैं शहसवारों की तरह
बेमियादी ज़िन्दगी है बेमियादी मुश्किलें
दाइमी क्यूँ है उदासी ग़म के मारों की तरह