किसी की आँख में चुभता नहीं हूँ
मैं जर्रों की तरह हल्का नहीं हूँ
अभी हालात से बिखरा नहीं हूँ
मगर सच ये भी है यकजा नहीं हूँ
चमक मुझमे भी है खुर्शीद जैसी
मगर मैं चाँद पर हँसता नहीं हूँ
कोई देखे मेरे दिल में उतर कर
समंदर हूँ मगर खारा नहीं हूँ
फना होना है तेरे आरिजों पर
मैं पलकों से यूँ ही गिरता नहीं हूँ
अगर दुश्मन है तो तस्लीम कर ले
की मैं दिल में तेरे रहता नहीं हूँ
तुम्हारी चाह में खुद को मिटा दूँ
समंदर! मैं कोई दरिया नहीं हूँ
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