मुमकिन है तुझको उसकी हकीकत पता न हो
मुफलिस जो दिख रहा है कहीं वो खुदा न हो
अक्सीर दिल के दर्द की है इक दवा मुफ़ीद
झुक कर उठा उसे जो कभी खुद उठा न हो
मुझसे गले मिला तो नयी बात क्या हुई
उसको गले लगा जो तेरा हमनवा न हो
दुश्वारियों से हो के परेशान तू न रुक
जलने में क्या मज़ा जो मुखालिफ हवा न हो ?
होने लगा है ऐसा भी 'इन्साफ' आजकल
जिसने किया है जुर्म उसी को सजा न हो
उनकी उदासियों का पता ऐसे चल गया
यूँ हंस रहे थे जैसे कहीं कुछ हुआ न हो
खुद को नवाज़ना तो बड़ी आम बात है
उस को नवाज़ जिसका कोई भी खुदा न हो
अक्सीर दिल के दर्द की है इक दवा मुफ़ीद
ReplyDeleteझुक कर उठा उसे जो कभी खुद उठा न हो
मुझसे गले मिला तो नयी बात क्या हुई
उसको गले लगा जो तेरा हमनवा न हो
wah wah wah tiwari jee , kya baat kahi hai