ख्वाब तुम्हारा मैंने कुछ ऐसे देखा है
वीराने में शीशमहल बनते देखा है
देख चमक जिसके चेहरे की तुम जलते हो
मैंने उसको सोने सा तपते देखा है
मैं हूँ साथ, बढ़ो आगे, कहती बैसाखी
तुम जैसों को भी मंजिल पाते देखा है
जो आँखें दुनिया को देख नहीं पातीं हैं
उन आँखों से भी आँसू बहते देखा है
मत इतराओ, मैंने तपते सूरज को भी
दरिया में छितराकर गुम होते देखा है
दरिया में छितराकर गुम होते देखा है
सारा जीवन बीता जिसका अंधियारे में
दीपक उसके शव के सिरहाने देखा है
एक अधूरा सपना लेकर सब जीते हैं
अपने सपने सच होते मैंने देखा है
मेरे अपनों ने वो हाल किया है मेरा
जिस पर मैंने दुश्मन को रोते देखा है
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