ज़िंदगी मौत से आज लड़ने को है
ज्यूँ समंदर से दरिया उलझने को है
आखिरश खामुशी चुप रहे कब तलक
आज लगता है कुछ मुझसे कहने को है
सब गए छोड़ कर फिर भी मशरूफ हूँ
मेरी तनहाई मुझसे झगड़ने को है
हमसफ़ीरों मेरे अब रहो दूर ही
सब्र का बाँध मेरे दरकने को है
दो मुआफ़ी मुझे दिल अजीजों मेरे
जिस्म ख्वाबीदा कांधो पे चढ़ने को है
वक़्त आया उठे अब जनाज़ा मेरा
आख़िरी कील अब इसमें लगने को है
जिनके काँधों पे गुस्ताख मैं सो रहा
वो हुजूम आज पैदल ही चलने को है
ज्यूँ समंदर से दरिया उलझने को है
आखिरश खामुशी चुप रहे कब तलक
आज लगता है कुछ मुझसे कहने को है
सब गए छोड़ कर फिर भी मशरूफ हूँ
मेरी तनहाई मुझसे झगड़ने को है
हमसफ़ीरों मेरे अब रहो दूर ही
सब्र का बाँध मेरे दरकने को है
दो मुआफ़ी मुझे दिल अजीजों मेरे
जिस्म ख्वाबीदा कांधो पे चढ़ने को है
वक़्त आया उठे अब जनाज़ा मेरा
आख़िरी कील अब इसमें लगने को है
जिनके काँधों पे गुस्ताख मैं सो रहा
वो हुजूम आज पैदल ही चलने को है
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