है अँधेरा एक दीपक तो जलाना चाहिए
जो भटकते हैं उन्हें रस्ता दिखाना चाहिए
है जिन्हें एहसासे जिम्मेदारी करते हैं जतन
काहिलों को तो फ़क़त कोई बहाना चाहिए
सोचिये मंज़र कि जब पानी नहीं होगा नसीब
पीढ़ियों के वास्ते इसको बचाना चाहिए
जो कहे, इक बूँद पानी की नहीं होती अहम
ऐसे नादां को समंदर से मिलाना चाहिए
आज भी गर ठान लो दुनिया सराहेगी तुम्हे
रास्ता तुमने दिखाया, फिर दिखाना चाहिए
जल नहीं जीवन बहाती हैं ये ढीली टोंटियाँ
जल न बन जाए कहीं कारण महासंग्राम का
कल को इस संभावना से तो बचाना चाहिए
जल नहीं जीवन बहाती हैं ये ढीली टोंटियाँ
खुद इन्हें कैसे सुधारें हम, ये आना चाहिए
जल न बन जाए कहीं कारण महासंग्राम का
कल को इस संभावना से तो बचाना चाहिए
जो कहे, इक बूँद पानी की नहीं होती अहम
ReplyDeleteऐसे नादां को समंदर से मिलाना चाहिए
waah... zarur