रूह को दे के छाले गया
फिर भी मुझसे दुआ ले गया
मैं तुम्हारी खुशी के लिए
दुश्मनी भी निभा ले गया
एक साया ही था हमनशीं
वो भी शब के हवाले गया
जांकनी में भी मुझसे कोई
ज़िन्दगी की दुआ ले गया
कैसे नाराज़ करता उसे
मेरे खूं की रिज़ा ले गया
क्यूँ सफीने को गिर्दाब में
आज ख़ुद नाखुदा ले गया
झाँक अपने गिरेबान में
जान ले, क्या मेरा ले गया
फिर भी मुझसे दुआ ले गया
मैं तुम्हारी खुशी के लिए
दुश्मनी भी निभा ले गया
एक साया ही था हमनशीं
वो भी शब के हवाले गया
जांकनी में भी मुझसे कोई
ज़िन्दगी की दुआ ले गया
कैसे नाराज़ करता उसे
मेरे खूं की रिज़ा ले गया
क्यूँ सफीने को गिर्दाब में
आज ख़ुद नाखुदा ले गया
झाँक अपने गिरेबान में
जान ले, क्या मेरा ले गया