Sunday, November 27, 2011

गुलों को खूं बहाना आ गया है

गुलों को खूं बहाना आ गया है
खुदा! कैसा ज़माना आ गया है

उन्हें गुस्सा दिखाना आ गया है
हमें भी मुस्कराना आ गया है

करेंगे प्यार अब हम भी किसीसे
हमें भी दिल दुखाना आ गया है

हँसी खुलकर दिखेगी अब हसीं की
हमें आंसू छुपाना आ गया है

पिटे जब खुद किसीसे, याद उनको
अहिंसा का फ़साना आ गया है

Sunday, November 20, 2011

दिमाग का दही


आज लोगों मैं हूँ तैयार
आप भी हो जाओ
बनाते हैं,  दिमाग का दही
चौकिये मत बन्धु
बस मेरे साथ हो लीजिये
दही तो अपने आप बनेगा
ऐसा करिए …..
अपने दिमाग में
मैडम और बेबी का त्याग डालो
सिंह का भाग डालो
बेबी की आस डालो
देश का सर्वनाश डालो
कुछ हुआ? बना कि नहीं?
नहीं?….तो
डालो भाषणों के कुछ अंश
अमूल  बाबी के
मैंने "कुछ "कहा, पूरा नहीं
दिमाग कहा है आपका
सुनते नहीं ध्यान से
यही तो त्रासदी है
जो सुनना चाहिए
वो तो आप सुनते ही नहीं
खैर… आगे बढ़ते है
डालो भाषणों के कुछ अंश
अमूल बेबी के
यदि गलती से पूरा पड़ गया
तो दही कि जगह
मही बन जायेगा
जिसे खायेंगे पालतू कुत्ते
पागल हो जायेगे
और काट खायेंगे
हमको, आपको, सबको
यदि कहीं काट पाए एक “त्यागी” को
तो भौंकने का अंदाज़ बदल जायेगा
बहुत जोर जोर से करेंगे भाओ भाओ
“........ लाओ देश बचाओ”
पर आप तो आप हैं
आप का दिमाग तो
आपका भी बाप है
अभी तक नहीं बना दही
मथिये, गरम करिए फिर ठंडा करिए
शायद कुछ हो जाए
दही नहीं तो मट्ठा ही बन जाए
नहीं बनेगा कुछ भी
कुछ भी नहीं हो सकता आपका
आपको खट्टे से परहेज जो है
चलिए याद दिलाते हैं आपको
कुछ पुराने नुस्खे
शास्त्री जी को कहीं भेजा था
समझौते के लिए
याद आया …. हाँ वही वही
ताशकंद समझौता
हुआ भी, पर एक नहीं दो
दूसरा समझौता था
शास्त्री जी और मौत के बीच
इस समझौते पर
किसने किये थे हस्ताक्षर
किसी को पता नहीं चला
लोगों ने कई तरह की बातें कही
और बना था दिमाग का दही
एक नुस्खा और
याद है बिमान दुर्घटना
नाक के बल गिरा था
कहते हैं पूरा ईधन से भरा था
पर धुवाँ भी नहीं उठा
कहाँ चला गया सारा ईधन
ऊपर वाला ही जाने
पहले तो कहा
जाँच करायेंगे
दूसरे दिन कहा
जाँच की आवश्यकता ही नहीं
अब क्या गलत था क्या सही
पर बना था दिमाग का दही
इसी तरह भैया दो नुस्खे और हैं
पर वे प्रोटेक्टेड हैं कापीराईट से
क्या कहा ??
बीमारी, स्विस बैंक, मनी ट्रांसफर, 
देखिये आप  नही डाल सकते 
अपने शब्द मेरे मुह में 
किसी ती वी चैनल के एंकर की तरह 
आपको बोलना है तो बोलिए 
मैं बोलना तो क्या
सोचने से बचूंगा
बाल बच्चों वाला हूँ भाई 
पर मैं जानता हूँ एक बात
अभी तक तो नहीं
पर अब बना
आपके दिमाग का दही
बहुत सही गुरू
एक दम सही जा रहे हो
अंदाजा सटीक लगा रहे हो
मान गए आपके दिमाग को
क्यों न हो
इतने दिनों से
मजबूरी में ही सही
थोड़ी खट्टी ही सही
पर दही खा रहे हो
लगे रहो, सोचते रहो,
मथो, ठंडा करो, गरम करो
जैसे भी हो बनाते रहो
दिमाग का दही
आल दी बेस्ट